ताऊ पहेली के गोल्डन जुबली अवसर पर हार्दीक शुभकामनाऎ

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ताऊ पहेली  आज 50 वा सप्ताह में प्रवेश करने जा रही है.  "गोल्डन -जुबली" तो हम सभी दिल खोल के ताऊ डाट ईन की  इस उपलब्धी पर गर्व करते हुए हार्दिक शुभकामनाए प्रेषित करे. ताऊ पहेली के गोल्डन जुबली  अवसर पर हार्दीक शुभकामनाऎ




ताऊ पहेली के पचासवे हप्ते में प्रवेश इस ख़ुशी के अवसर हम केक काट कर गोल्डन जुबली को सेलिब्रेट करे.



फोटू को किल्क कर देखे हमारे ब्लोगर बंधू ताऊ डाट इन के ताऊ जी को किस तरह बधाइयो की व् शुभकामनाओं की वर्षा कर रहे है .

रंग रूप और ये काया , हे! ताऊ ये तेरी माया भाग - 2

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रंग रूप और ये काया , हे! ताऊ ये तेरी माया भाग - 1 में हमने ताऊ पहेली के पचासवे अंक में प्रवेश की चर्चा की थी. आज हम इसके किरदार पर नजर डालेगे की आखिर में यह जादुई शख्सियत है कोन ? जो ताऊ के चरित्र को जीवंत बना कर हिंदी चिठठा जगत को अपनी लोकप्रिय छवि का लोहा मनवाने में सफल हुए है.

करीब डेढ़ वर्ष के अपने ब्लॉग कार्यकाल में 429 पोस्टे व् करीब करीब 18 हजार कमेन्ट के जादुई आकड़ो को छूने वाले आखिर यह ताऊ है कौन ? सवाल सभी के मन में इसी के आसपास घूम रहा है. मुंबई टाइगर किसी को घी तेल लगाने का काम नहीं कर रहा है. हम सिर्फ इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे है की जो कोई भी हो पर यह ताऊ है कमाल का आदमी .


और मेरे इस कथन को साबित करने के लिए ताऊ डाट इन की भारी सफलता काफी है. सच्चाई को स्वीकार करना एवं सच्चाई का स्वागत करना महज प्रशंसा का द्योतक नही माना जाना चाहिए, इससे हम अपने ब्लॉग जीवन में ताऊ की तरह अनुशासन पूर्वक एवं नियमित कुछ नया कर सके यह सीख भी ले सके, यह ही हमारा मूल मकसद है इस वार्तालाप का ..

















"ताऊ" के बारे मे कुछ भी लिखने से पुर्व बरबस ही मेरे मानस पटल पर एक सवाल अंकित हो रहा है। "ताऊ" कोन ? इसके मायने क्या ? क्या ताऊ लोगो कि अटूट विश्वास का दुसरा रुप है ? या ताऊ कोई विचारधारा है ? ताऊ संस्कारों का प्रतीक है ? आखिर "ताऊ" है क्या बला ?

"ताऊ" महज एक नाम नही हो सकता। "ताऊ" शब्द के साथ भारतीय लोगो की भावनाए जुडी हूई है। "ताऊ" एक विचारधारा बनकर लोगो के दिलो-दिमाग एवम रक्तवाहिनियों मे दोड रहे है। यू कहू तो अतिशयोक्ति नही होनी चाहिऐ लोगो कि आस्था का केन्द्र है "ताऊ".


मेरे विचार से ताऊ के चरित्र को निभाना और उसके साथ न्याय करना बडा ही कठीन कार्य है। कोई भी ताऊगिरी का चोगा ओढले यह सहज प्रतीत नही होता है, दुर्भर कार्य है। क्यो कि लोगो के इस सुपर हीरो ताऊ को जीवन्त बनाऐ रखने के लिऐ ताऊ को आम जीवन मे जीना पडता है, ताऊ की तरह सोचना पडता है, ताऊ को तन मन मे उतार कर ताऊ कि ऑख से दुनिया, समाज एवम दीन-दुखियो को देखना पडता है। ताऊ की तरह आम आदमी की भाषा को अपनाना पडता है।


रामदयाल कुम्हार- चम्पाकली - बीनू फ़िरंगी - अनारकली - रामप्यारी - गोटू सुनार, हीरामन, संतू गधा जैसे किरदारो से जहॉ ताऊ आम-जन की विचारधारओ एवम सभ्यताओ की पेशगी करते है, वही दुसरी और भैंस, गधा, ऊंट , चम्पा गधेडी ,सांपनाथ, उल्लू जैसे किरादारो को माध्यम बनाकर ताऊ बेजुबान प्राणीयो की आवाज बनकर लोगो मे पशु पक्षियो के प्रति प्यार जताने का सन्देश भी देते है।


वही हरयाणवी लठ ताऊ का ब्रहमाष्त्र है। जरुरत पडने पर ताऊ मेड इन जर्मन लट्ठ, का उपयोग करने मे भी नही चुकते। चतुराई, बुद्धि विलक्षणता तो ताऊ मे कुट-कुटकर भरी है। ताऊ ने चोरी , ठगाई, लूटपाट मे इतनी महारत हासिल करली है की इस बिरादरी मे ताऊ सुपरहीरो माना गया। अब सोच यह है कि संसार के हर पक्ष मे "ताऊ" मान्य है, सर्वसमर्थन प्राप्त है, तब भी प्रश्न है कि ताऊ कोन ?


यह प्रश्न जायज है... कि भॉती-भॉति के रग-रुप, सर्वगुणसपन्न, लोगो का सुपर हीरो, ताऊ के सफल किरदार को अंगीकार किस व्यक्ति ने किया। क्यो कि ताऊ के अनेक रुपों को एक अकेला व्यक्ती कैसे निभा सकता है ? ताऊ मे हजारो खुबिया है। अकेले एक व्यक्ती मे इतनी खुबिया होना और उसे कलम के माध्यम से कोरे कागज पर उकेरना और लोगो की आस्था को बनाऍ रखना बडा ही असम्भव कार्य लगता है।


यह सभी देखने मै ताऊ डॉट इन चिठठे पर गया। करीब करीब १७ दिनो तक ताऊ के पूरे चिठ्ठे को, प्रतिक्रियाओ को पढा, समझा एवम उसका विश्लेषण किया। 17 दिनो मे जब भी मैं ताऊ के चिठ्ठे पर जाता तो खूंटा , परिचयनामा, ताई, भाटिया जी, समीर जी और ज्ञानदत्त जी पांडे की टिप्पणीयां या ताउ साप्ताहिक-"ताऊ की शोले" को पढकर लोटपोट हुआ तो कही भावुक हुआ।

आखिर मे हमारी इस टीम ने 17 दिनो के अथक प्रयास के बाद यह पाया की ताऊ के विभिन्न रुपो को जीना एक व्यक्ती के बस मे नही है, फिर यह कोन है जिसने ताऊ के हर रुप को बडी ही खूबी से निभाया और जनता जनार्दन का विश्वास जीत लिया।"









P.C. Rampuria (Mudgal) श्री पी सी रामपुरीया जी जो कि ताऊ भुमिका को न्यायपुर्वक निभा रहे हैं । उनके द्वारा लिखे गऐ समय समय पर विभिन्न समयोचित लेख इतने प्रासगिक लगे कि बार बार पढने को मन करता है। उनको पढने के बाद हमने पाया कि जीवन के प्रति उनका दर्शन हमेशा सकारात्मक रहा।

उनके हर हास्य-व्यंग में कहीं ना कहीं हमारी कुरुतियों पर परोक्ष चोट है. जिस ताऊ को हम एक सीधा साधा गंवई इंसान समझकर हंसी मजाक कर लेते हैं. उस ताऊ की अर्थशाश्त्र पर गजब की पकड है. वितीय मामलों के ताऊ एक मंजे हुये खिलाडी है. पूछने पर वो बताते हैं कि अर्थशाश्त्र उनका सबसे प्रिय विषय है और हिंदी चिठ्ठाकारी में गपशप करके वो बहुत तनावरहित महसूस करते हैं.


सन्तोष-सुखी लेखन का आधार है, पर श्री पी सी रामपुरीया जी इससे एक कदम और आगे बढते है उनके अनुसार -" लेखन वही सरस है जो आशाओ, उम्मीदो की ज्योति से रोशन है। अगर लेखक का दृष्टिकोण उत्साह भरा आशावादी होगा तो आने वाले उतार चढाव, अनुकूल परिस्थिति मे समभाव का स्वतः विकास होगा और लेखकीय जीवन मे निराशा हताशा पास नही आ सकेगी। और हर एक लेखक ताऊ बनने मे सक्षम हो सकता है।


ताऊ रामपुरीया जी की लेखनी की धारा जिधर बही, अपना मार्ग स्वतः प्रशस्त करती गयी। समाज की दिशाहीनता, भटकाव , विशेषकर युवा वर्ग की लक्ष्यहीनता के प्रति ताऊ ह्रर्दय की उथल पुथल, उनकी तडप भरी झनझनाट का शोर स्पष्ट उनकी लेखनी मे सुनाई पडता है।


असंयमित लेखनी, व्याप्त भ्रष्टाचार्, कुप्रथाओ को लेकर यदा-कदा वे व्यगात्मक प्रहार करने से नही चुकते। ताऊ के लहजे मे श्री रामपुरिया जी के विचारो को आमजन की आवाज कहना निश्चित ही सराहनीय है। आजका युवा वर्ग ताऊ के विचारो को पढकर उसके निचोड से, निश्चित ही समाज को नई दिशा मिलेगी ऐसा मेरा विश्वास है।


श्री पी सी रामपुरीया जी के तरकश मे व्यंगबाणो की भरमार है। अपने परिचय मे भी उन्होंने व्यंग का सहारा लिया है। उनके व्यंगात्मक परिचय मे भी समाज के लिऐ एक सन्देश है। किसी भी चिठ्ठे पर मेरे द्वारा अभी तक पढे गये सर्वश्रेष्ठ और अपडेटेड प्रोफ़ाईल लगा मुझे ताऊजी का. आईये देखते हैं कि वो क्या लिखते हैं स्वयम के बारे में...

ताऊ बता रहे है अपने बारे मे:-

वैसे जिंदगी को हल्के फुल्के अंदाज मे लेने वालों से अच्छी पटती है | गम तो यो ही बहुत हैं | हंसो और हंसाओं , यही अपना ध्येय वाक्य है |

हमारे यहाँ एक पान की दूकान पर तख्ती टंगी है , जिसे हम रोज देखते हैं ! उस पर लिखा है : कृपया यहाँ ज्ञान ना बांटे , यहाँ सभी ज्ञानी हैं ! बस इसे पढ़ कर हमें अपनी औकात याद आ जाती है ! और हम अपने पायजामे में ही रहते हैं ! एवं किसी को भी हमारा अमूल्य ज्ञान प्रदान नही करते हैं ! ब्लागिंग का मेरा उद्देश्य चंद उन जिंदा दिल लोगों से संवाद का एक तरीका है जिनकी याद मात्र से रोम रोम खुशी से भर जाता है ! और ऐसे लोगो की उपस्थिति मुझे ऐसी लगती है जैसे ईश्वर ही मेरे पास चल कर आ गया हो


ताऊ को पसन्द क्या है ? देखे तो।

अपना प्रथम शौक है शरीफो और नेक लोगो को बिगाडना ! क्योंकी हम खुद पैदाइशी बिगडे हुये हैं. इस लिये अपनी जात बिरादरी मे बढोतरी के लिये इसको अपना मुख्य शौक बना लिया है !

दुसरा शौक है-- जिन्दगी को हलके फुलके लेना. और मजे में रहना. फोकट टेंसन लेने में विश्वास नही है !

ताऊ की Favorite Movies

अपनी जिंदगी की मूवी ही पसंद नही आयी तो दुसरे की क्या आयेगी ? अगर पसंद ही बताना जरुरी हो तो अब तक की पसंद मेरी अपनी गुजरी जिंदगी की मूवी ही है ! इसमे एक सफल फिल्म के सारे दृश्यों को मैने देखा है ! इससे बडी फिल्म कोइ बना भी नही सकता ! क्योंकी ये फिल्म सीधी उपर वाले की निर्देशित की हुयी है ! इस फिल्म मे कोइ भी सीन रिपीट नही होता बल्कि एकता कपूर स्टाईल मे चलती ही रहती है ! अब भला इसके सामने ढाई घंटे की फिल्म क्या लगेगी ?

Favorite Books

एक नही बल्कि अनेक हैं. अधिकतर लेखक दिवंगत हो चुके हैं सो किसी एक दो का नाम लेकर उनकी आत्माओं से दुश्मनी लेने से अपने मास्साब और वालदेन ने मना किया है. | वैसे तो हमने इनकी किसी भी सलाह को ना मानने की कसम खा रखी है. पर ये मानने मे कुछ हर्ज नही है क्यूंकि ऊपर कहीं स्वर्ग या नरक मे टकरा गयी तो खाम्खाह झंझंट हो जायेगी.


ताउजी की ब्लाग लिस्ट मे 200 से उपर ब्लॉग हैं जिनको वो नियमित रूप से पढ़ने की कोशीश करते है. और टिप्पणीयो के माध्यम से उनका हौंसला बढाने की पूरी कोशीश करते हैं।

ये हैं ताऊ की पसंद के कुछ चिठ्ठे :-














ताऊ पहेली के गोल्डन जुबली के उपलक्ष में

क्रमश:

रंग रूप और ये काया ,हे! ताऊ ये तेरी माया

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रंग रूप और ये काया ,हे! ताऊ ये तेरी माया 



28 नवम्बर 2009, हिंदी चिठ्ठाकारी  के लिए गोरव भरा दिन  है . शनिवार 28 नवम्बर ताऊ डाट ईन"ताऊ पहेली का 50वें अंक में प्रवेश होने जा रहा है. इस शुभ धडी को हम सभी मिल कर सेलिब्रेट करे


20 दिसम्बर 2008 को  ताऊ की शनीचरी पहेली - १ का शुभारम्भ ताऊ के हाथो हुआ. लगे हाथो पाठको ने भी खूब चटखारे ले लेकर इस प्रथम पहेली का जवाब दिया . सबसे पहले जवाब देने आए "स्मार्ट इंडियन" के अनुरागजी  शर्मा,  इस अंक में आई कुल ४३ प्रतिक्रयाओ ने ताऊ की इस नई सोच को खूब सराहा.

हालांकि इससे पहले भी ब्लाग जगत मे पहेलियां चल रही थी जैसे राज भाटिया जी और तस्लीम पर....लेकिन ताऊ पहेली मे जिस तरह मार्किंग और मेरिट लिस्ट का नूतन आईडिया काम मे लिया गया उसने भी इस आयोजन को एक नया आयाम दिया. आज भी पहले अंक से अभी तक के मार्क्स सुरक्षित हैं और गोल्डन जुबिली पर सार्वजनिक किये जायेंगे.

ताऊजी से इस सफ़लता का राज पूछने पर वो बताते हैं कि सब व्यस्थित और सकारत्मक कार्य ही इसकी सफ़लता के मुख्य कारण हैं. और साथ ही वो इस सफ़लता के श्रेय में अल्पना वर्मा जी को बराबरी का हिस्सेदार मानते हैं.

ताऊजी ने बताया कि ताऊ पहेली को इस व्यवस्थित ढंग से और निरंतरता से आज तक चलाना बिना अल्पना जी के सहयोग के संभव ही नही था. अल्पना जी ने उनका मुख्य शौक होते हुये भी ताऊ पहेली मे सक्रिय योगदान देने के लिये ताऊ शनीचरी पहेली राऊंड २ (अंक - २) यानि (ताऊ पहेली १२ ता: ७ मार्च २००९) से इस पहेली मे बतौर आयोजक शामिल होगई.

किन्ही भी परिस्थितियों मे शुरु से अभी तक ताऊ पहेली का प्रकाशन निर्धारित दिन और समय पर निरंतर होता आरहा है.

इस प्रथम पहेली में पूछे गए सवाल जवाब में राज भाटियाजी,स्मार्ट इण्डियन  ने जवाब बडी ही मस्ती से दिया आप उससे सम्बन्धित जवाब फोटू को किल्क कर पढ़े.



आज जब हम हिंदी चिठ्ठाजगत के गोरव की बात कर रहे है.  तब सहज ही "ताऊ पत्रिका" एवं उसके मुख्य संपादक ताऊ रामपुरिया जी [P.C.rampuria (Mudgal)] के हिंदी ब्लोग जगत में दिये योगदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते है. ३५० दिन यानी ५० सप्ताह  तक नियमित रूप से पहेली का कुशल सचालन करना यह अपने आप में एक स्वर्णीम क्षण है.

ताऊ पहेली के ५०वें सप्ताह में प्रवेश एवं गोल्डन जुबली का हम तहे दिल से स्वागत करे, यह हम सभी हिन्दी प्रेमियों के लिए गर्व का पल है. ताऊ पहेली द्वारा अब  तक पहेलियों  में भारत के निम्न्नाकिंत  प्रसिद्द स्थलों को "ताऊ डाट ईन" में शामिल किया गया है. और उन पर सुश्री अल्पना वर्मा जी द्वारा यथेष्ठ जानकारी भी संकलित करके दी गई है.

ताऊ पहेली द्वारा हमारे पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों की बहुत ही सुंदर ढंग से जानकारी देने का महती प्रयास किया गया है.

अब तक पूछी गई पहेलियों के विषय :-

बीबी का मकबरा

कोणार्क मन्दिर  

अजंता की बौद्ध गुफा

रानी रुपमति का महल, मांडु, मऊ, म.प्र.

बाघ केव्ज" तह्सील कुक्षी जिला- धार (म.प्र.),

रण थम्भोर दुर्ग 

दोलताबाद फ़ोर्ट 

सहेलियों की बाडी उदयपुर 

आमेर फ़ोर्ट ( जयपुर )

लाल बाग पैलेस इंदौर

वार सिमेट्री कोहिमा नागालैंड.

अमरनाथ गुफ़ा (जम्मू काश्मीर).

'बराबर गुफाएं'

वृंदावन गार्डन  मैसूर 

लोटस टेंपल दिल्ली 

Christ church शिमला

इमामबाडा लखनऊ,

गांधी मेमोरियल म्युजियम मदुराई.

दुर्गा मंदिर वाराणसी.

बाबा हरभजन सिंह टेंपल, सिक्किम.

शेखचिल्ली का मकबरा थानेसर (कुरुक्षेत्र) हरियाणा

सिद्धि विनायक मंदिर मुम्बई, 

लाल किला दिल्ली

श्री गोविंदजी मंदिर मणिपुर.

चेरमन पेरूमल मस्जिद

दंतेश्वरी मंदिर

स्वर्ण मंदिर अमृतसर

बिरला म्युजियम पिलानी

सेल्ल्युलर जेल अंडमान निकोबार, इत्यादि  भारत भर के कई ऐसे स्थानों से पाठक अभिनज्ञ  थे जिसे ताऊ पहेली में पूछकर ज्ञान भरी जानकारिया हम प्राप्त कर पाए . 

अंतर्जाल पर पहेली के स्वरूप मे इस तरह की ऐतिहासिक जानकारी डालकर ताऊ डाट इन ने हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार मे जो महती योगदान दिया है. उसके लिये वो सराहना के पात्र हैं.

शुरू के दिनों में पाठको कि सख्या कम थी पर एक दो सप्ताह बाद बड़ी तादाद में पाठक यहा पहुचाने लगे ५० से शुरू हुई टिपनिया ८०, १००, ११३, १५०, १६०,   तक पहुच गई . शनिवार को पहेलियों के जवाब ढूढने के लिए पाठको ने गूगल बाबा का भी सहारा लिया जिससे गूगल कि साइट में  हिट (किल्क ) करने में ताऊ पहेली का भी अहम स्थान रहा. 
कुछ ताऊ पहेली के टिप्पणियों के  ग्राफ पर नजर डाले.  



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"महाताऊश्री" कि पदवी से नवाजे जाने कि घोषणा ने   पाठको में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी.

इसी के तहत हिंदी ब्लोग जगत के महान ब्लोगर श्री समीरलालाजी को  उडनतश्तरी ने हासिल किया महाताऊश्री का खिताब  



इस तरह शुभम जी आर्य बने दुसरे महाताउश्री


क्रमश ..............


आपके जीवन की डोर, मुनीरखान की १५६०० रुपयो की बोतल मे

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आज मेरा मन यह सुनकर के भावुक हुआ कि मेरे एक ४२ वर्षीय अजीज मित्र को गले का कैसन्सर है.
जब से उन्हे यह पत्ता चला की वह इस जानलेवा बिमारी से ग्रसित है तब से वो परेशान है. डाक्टरो ने कहा की रोग फ़ैफ़डो मे उतर जाने के कारण किमो थैरीपि कारगर नही हो सकती. पिछले कई महिनो से बडे से बडा डाक्टर को बता दिया, सभी ने यहीकहा-~ दवाई कुछ भी नही है बस कैयर करे. दिल्ली के एक बडे अस्पताल मे इरान मे इजाद की हुई कैसर निरोधक वैक्सीन के प्रयोगात्मक इलाज हेतू मेरे मित्र ने हर महीने मुम्बई से दिल्ली जाकर दस दस दिन रहकर डाक्टरो द्वारा दी गई वैक्सीन को ग्रहण किया. एक साल भर मे पाच छ: बार उक्त वैक्सीन हेतू उन्हे दिल्ली जाना पडा. पुरे भारत वर्ष से दस बारह कैसर पिडितो पर इस प्रयोगात्मक वैक्सीन का प्रयोग किया गया. पर इस इलाज से कुछ भी पोजेटीव रिज्लट नही आया. इलाज मे लाखो खर्च के बाद भी चिन्ता ज्यो कि त्यो बनी हूई है. दुनिया भर के डाक्टरो की राय ली गई पर प्रकाश की थॊडी भी किरण नही दिखी. मेरे दोस्त का वजन भी बहूत कम हो गया .

वो कहते है ज्यादा देर चलने मे पैरो मे दर्द उठता है. खाने मे भी बडी सावधानी बर्तनी पड रही है. ताकी वजन कम ना हो. मैने कहा- क्यो ना आप आयुर्वेद को अपनाए ?  मैने  एक टीवी प्रोग्राम मे तबस्सुम के साथ आयुर्वेद डाक्टर मुनीर खान को केसा   भी रोग हो जानलेवा से जानलेवा बिमारी उनकी एक ही दवाई से रोगी को ठीक करने के दावे को सुना है.

मैने, मेरे मित्र से कहा- "कि वह क्यो नही डाक्टर मुनीर खान  को दिखाकर उनकी  दवाई ~बोडी रिवायव~ को ले."
मेरे मित्र ने कहा कि वो वर्सोवा स्थित उनके घर पर बने दवा खाने गया था. डाक्टर मुनीर खान से मिला भी. उन्हे मेरी सारी समस्याओ एवम पुर्व मे ली गई टीटमेन्ट की जानकारी देना चाहता था पर वो  इतने व्यस्त थे की मेरी बात को सुनने को राजी नही. बस डाक्टर मुनीर खा साहब तो एक ही बात करते रहे आप दवा कि एक बोटल ले जाऎ व उस दवाई को लेना शुरु करे ठीक हो जाऎगे. डाक्टर मुनीर खा ने साथ  हीदायत दी कि  एलोपैथिक दवायो को पुर्ण रुप से बन्द कर दे."

BODY REVIVAL की एक बोटल १०० एम एल की कीमत है १५०००/ जो एक दिन छोड के रात सोते समय ५ एम एल लेनी होती है. कोई भी बिमारी हो उसमे एक ही तरह की इस बोटल को थमा दिया जाता है.  एलोपैथिक दवायो को पुर्ण रुप से बन्द करने को भी कहते है.

मेरे दोस्त ने कहा-" कैसे भरोसा किया जाऎ इस दावे को कि  डाक्टरो की दवाई छोडने से हानिकारक प्रभाव नही होगा ?

मैंने दोस्त के साथ कुछ समय बिताया.... उसे ढाढस बधाया की चिन्ता नही करे वो जल्दी ही स्वस्थ होगे. अत:  दोस्त से इजाजत लेते हुऎ मै खडा हुआ तभी दोस्त ने कहा -" जब दुनिया के सभी डाक्टर हाथ झटक लेगे  और लगेगा की अब कोई साहरा नही है तो अन्तिम दाव के रुप मे आयुर्वेद डाक्टर मुनिर खान की दवाई का सेवन करुगा.... शायद कही रोशनी नजर आ जाऎ."
मेरे मुह से निकला - हारे का बाबा साहरा..
 नम आखो से दोस्त से ये वादा करते हुए विदाई ली की मै फ़िर आउगा उन्हे मिलने..... मुझे गले मिलाया मेरे दोस्त ने...

आयुर्वेद डाक्टर मुनिर खान जी


आयुर्वेद डाक्टर मुनिर खान जी  जो अपने को साइन्सिसट (वैज्ञानिक) भी बताते है, मुमबई के पोश इलाके में रहते है. जहा वो अपने मरीजो को देखते है. भारत भर से जीवन से हारे हुए  लोग वहा जीने की चाहत में घंटो लाइन में खडे रहकर एक उम्मीद की किरण को महसूस करते है. जब हमारी  टीम ने सत्यता का पत्ता लगाने वहा का दोरा किया तब यह बाते सामने आई.कई मरीजो को इस दवा से परेशानी हुई यह भी पत्ता चला.

जीवन के सामने पहन्द्रा हजार की १०० एम्.एल की बोतल का प्रशन नहीं है प्रशन है डाक्टर मुनीर खान के उस दावे का जिस में वो एक ही दवा से सारे रोग जड से मिटाने का दावा करते है. अगर ऐसा है तो सरकार को सारे के सारे अस्पताल बंद कर देने चाहिए. सभी को मुनीर खान जी के पास भेज देना चाहिए .

डाक्टर मुनीर खान मुताबिक दवा लेने के कूचा दिनों में ही आदमी के शरीर में खून की निर्जीव पड़ी नशो का लुथडा सजीव हो जाता है खून पुरे शरीर में दोड़ना शुरू हो जाता है ... जितने भी टोक्सिन है मल मूत्र  से बाहर निकल जाते है.... जब पुरे शरीर की नशों में खून दोड़ना शुरू हो जाता है तो फिर बिमारी खत्म समझो  यह सभी दावे वो एक टीवी कार्यक्रम में तबस्सुम के समक्ष करते है.... भगवान ही जाने सत्य क्या है ?

कुछ  दिंनो पहले भडास पर मुनीर खान की दवाई से हुई दर्द नाक हादसे का उल्लेख है .

हमारी टीम ने आपके लिए ओर भी तथ्य एकत्र किए है जो फोटू के माध्यम से देखे.

यह वो दवाई की बोतल है जो मुनीर खान अपने मरीजो को १५६००/ मूल्य से देते है 



यह वह प्रिकसेप्शन है जो मुनीर खान अपने हाथो से लिखा कर मरीजो को देते है.



 
 यहाँ देखे १५६००/ मूल्य अकित है


 इस दवाई के बोक्स में प्रिंटेड परचा  मिलता  है उसके अंश यहाँ लिखा रहा हू 
BODY REVIVAL
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1. product Name: BODY REVIVAL
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