प्रवीणजी त्रिवेदी के इस प्रयास को सफल बनाने मे अपना योगदान यह फार्म भरकर जरुर दे।

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श्री प्रवीणजी त्रिवेदी  
पका सर्वे हिन्दि ब्लोग जगत के  आर्थिक सामाजिक एवम परिवारिक आकाडो को सुचारु रुप से एकत्र करने मे कामयाब होगा। मेने हमेसा ही इस बात पर हमेशा बल दिया है जब तक हमारा आर्थिक पक्ष मजबुत नही होगा तब तक हिन्दी ब्लोग जगत के विकास मे धिमापन रहेगा। हमे इस और भी ध्यान देना चाहिऐ कि एक राष्ट्र स्तर पर हमारी तकनिकि टीम या कार्यबल हो जो इस तरह के व्यवाहारिक मुद्दो पर चिठठाकारो को मदद पहुचाऐ। हमे गुगल सहीत लोकल विज्ञापन ऐजेन्सीयो को इस ओर प्रोत्साहीत करना चाहीऐ। यह काम व्यक्तीगत स्तर कि बजाय सगठीत होकर करने मे हमे आधिक फायदे मिलेगे। इसमे हमे सरकारी एवम गैर सरकारी एजेसियो से मदद कि भी उम्मिद है. पर कोई ठोस कार्यबल एवम रुपरेखा कि जरुरत है। शायद आपके सर्वेक्षण से हम उस लक्ष्य के कुछ हिस्से तक पहुच पाने मे सफल होगे। मै बडा ही प्रसन्न हू कि आपने अपना कुछ सहयोग के रुप मे पहल कि । मै सभी  ६००० हिन्दी चिठाकारो से अपिल करता हू कि  प्रवीणजी त्रिवेदी   के इस प्रयास को सफल बनाने मे अपना योगदान यह फार्म भरकर जरुर दे। एवम इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट रॉय व्यक्त करे। जिससे  कुछ हिन्दी चिठाकारो के आर्थिक सामाजिक विकास के दरवाजे खुले। मेरी हार्दिक शुभकामनाऐ  प्रवीणजी त्रिवेदी को......एवम 


मुम्बई टाईगर, एवम हे प्रभु यह तेरापन्थ हमेशा ही इस तरह के कार्यो मे हाथ बटॉने को तेयार है।
प्रवीणजी की अपील

हिन्दी चिट्ठाकारों का आर्थिक सर्वेक्षण - शामिल होने का आमंत्रण

प्रिय ब्लॉगर बन्धु !!
सादर नमस्कार और अभिवादन स्वीकार  करें

पिछले दिनों हिन्दी चिट्ठाकारों के रूप में मन में उनकी आर्थिक हैसियत का आंकलन करने की तमन्ना थी .
मन में भाव यह था कि देखा जाए कि किस आर्थिक परिधि से जुड़े हुए लोग हिंदी ब्लॉग्गिंग का हिस्सा बन रहे हैं .
जाहिर है कि यदि हम ब्लॉग्गिंग को अधिकतम जान मानस तक पहुँचाने के आकांक्षी हैं तो यह सर्वेक्षण महत्वपूर्ण परिणाम दे  सकता है .
तो आइये एक पर्व के रूप में शामिल हो इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों का इन्तजार करें
जाहिर है यह कहने कि आवश्यकता नहीं होनी चाहिए कि यह सर्वेक्षण एक रुझान जानने का ही एक मात्र प्रयास है .......इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं?
एक निवेदन और कि इस  सर्वेक्षण का प्रत्येक स्तर से प्रचार करके इसमें अधिकतम लोगों की भागीदारी ही
सच्चे परिणामो को सुनिश्चित कर सकती है . चलते चलते एक निवेदन और कि लक्ष्य ज्यादा बडे डाटाबेस का है अतः इसे प्राइमरी के मास्टर से बड़े  परिदृश्य की आवश्यकता है 
सर्वेक्षण को अपने वेब-पेज में दिखाने का link है 
सर्वेक्षण का इ-मेल link है

लाइए दे दीजिए डॉलर!!!!!

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हे प्रभु ने सुना ओबामा और जरदारी मीट को।















धर जरदारी साहब अमेरिका पहुचे और ओबामा से मिले। पहली बार।
बोले-"लाईऐ डॉलर दीजिए।" ओबामाजी हैरान परेशान। बोले- डॉलर ?  डॉलर किसलिऐ ?
सयोग से वहॉ हिन्दुस्थानी हे प्रभु होते तो तो यही कहते कि जी,मुह दिखाई मान्ग रहे है। पर कायदे से मुह दिखाई तो जरदारी साहब को देनी चाहिये थी। पर खैर, वहॉ वह था नही। सो जरदारी साहब ने कहा-"परम्परा, रवायत।
जब भी कोई पाकिस्तानी-प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति अमेरिका आता है तो बातचीत होती है ,वादे होते है, जिसके बाद चलते हुऐ वह डालर मॉगता है। क्या-ओबामाजी कि समझ मे कुछ नही आया। जरदारी साहब ने कहा- डॉलर ओर क्या ?
ओबामा ने कहा-"देखिए, डॉलर तो अब हमे  भी चाहिऐ।" मन्दी का दोर है। अर्थव्यव्स्था को फिर से खडा करना है। जरदारी साहब ने कहा-" जी बिल्कुल।" मुझे भी पाकिस्थान को फिर से खडा करना है। लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था तो बैठ गई है न-ओबामा ने कहा-इसलिये उसे फिर से खडा करने कि जरुरत है। और वह डॉलर के बिना नही हो सकती। पाकिस्थान भी तो बैठा हुआ है है जी-जरदारी साहब ने कहा- उसे भी फिर खडा करना है। वह भी डॉलर के बिना नही हो सकता।
ओबामा ने कहा-" मै कुछ समझा नही। जरा खुलकर समझाइए। जरदारी साहबको बडा आश्चर्य हुआ कि अमेरिका के राष्ट्रीपति को भी समझने की जरुरत पड रही है। पहले तो कभी नही पडी। बिना कुछ समझे बुझे डॉलर दे देते थे।
उन्होने समझाने कि कोशिस की-देखो जी, पहले तो मुझे ज्यादा समझ नही आता था। फिर बेनजीर के साथ मेरी शादी हो गई। फिर वो प्रधानमन्त्री बन गई। प्रधानमन्त्री बन गई तो, अमेरिका आना ही था। सो जब वे आने लगी तो, मैने यू ही पुछ लिया -"क्यो जा रही हो ?"उन्होने कहा -"डॉलर-लेने।" मेरे से पहले सब लाते रहे, मुझे भी लाने है। हमारे यहॉ सब यही करते रहे है। ओबामा-" ओहो, तो यह आपका धन्धा है-ओबामा को बडा आचर्य हुआ-पर मैने तो सुना है कि आपका धन्धा तो 20 % वाला है। ओह, तो आपने भी सुन रखा है कि लोग मुझे टूवेन्टी परसेन्ट कहते है-जरदारी साहब ने कहा- पर जी वो तो तब था, जब मै प्रधानमन्त्री का शोहर हुआ करता था। अब तो राष्ट्रीपती हू न। लाईए अब दीजिए डॉलर । 
लेकिन क्यो -  ओबामा फिर उसी सवाल पर लोट आऐ। जरदारी साहब को बडा आचर्य हुआ कि  इतना समझाने के बाद भी यह सवाल क्यो? सो उन्होने कहा-" अगर आप क्यो का सवाल उठा रहे है तो वह भी हम समझा देगे, पर पहले डॉलर तो दीजिए। नही। ओबामा ने कहा - पहले आप समझाइए। जरदारी साहब ने कहा-हमने मुशर्फसाहब को हटाकर पाकिस्तान मे डेमोक्रेसी कायम की। बताइए, बिना डालर के डेमोक्रेसी कैसे चलेगी।पर तब तो दिया था-ओबामा ने कहा-जब आपने
डेमोक्रेसी कायम की थी। ओह, हॉ!- जरदारी साहब ने कहा-" दिया तो था, पर मुझे लगा डेमोक्रेसी के नाम पर आप ओर दे देगे।

आखिर डेमोक्रेसी आपकी कमजोरी है न । नही, हमेशा नही-ओबामा ने कहा।
अच्छा-जरदारी साहब ने कहा-फिर मुम्बई पर हमला हुआ। सबने कहा पाकिस्थान से हुआ। हमने सोचा अच्छा मोका है-ऑतकवाद से लडने के लिऐ डॉलर चाहिए। पर तब दिये तो थे-ओबामा ने कहा-ओह हॉ,जरदारी साहब ने कहा- दिए तो थे,पर मुझे लगा और दे देगे। फिर हमने कहा तालिबान आ रही है। पकिस्तान को उनसे बचाना है तो डॉलर दीजिए

पर तब दीए तो थे-ओबामा ने कहा। ओह हॉ- दिए तो थे,पर लगा और दे देगे, आखिर तालिबान आपकी कमजोरी है। खैर, पर अब हमे डॉलर चाहिए। पर क्यो- ओबामा ने कहा। तालिबान से लडने के लिए-लाइए दीजिए डॉलर
अब जाकर करजाई साहब न भी अपनी चुपी तोडी। बोले- दे दीजिए न सर, और थोडे मुझे भी दे दीजिए। आखिर तालिबान से लडना है।
लेखक-सहिराम
नवभारत टाईम्स के सोजन्य से
१५ मई २००९













मेरे मम्मी पापा की wedding anniversary है तो लिखना तो पडेगा

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पको पता तो है मै लिखने मे आलसी हू। पर चुकी मेरे मम्मी पापा की wedding anniversary है तो लिखना तो पडेगा ही क्यो कि मिताली जिद्द कर रही थी। सबसे पहले आपको सभी को मेरा प्रणाम एवम आप सभी का आभार कि हमारी खुशी मे आप सामिल हुऐ और हमे बर्दास्त किया।
चुकी पापा कि यह नई ब्लोगिग दुनिया घर परिवार जैसी ही लग रही है। आप सभी का एक दुसरो के प्रति स्नेह, लगाव, देख अच्छा लगता है। आप सभी ब्लोगवासी एक दुसरो के दुख सुख मे भागीदार बनते है यह भी एक नई व्यव्स्था का सुत्रपात  है।
पापा मम्मी के बारे मे मेरी छोटी  बहन मिताली ने पापा के ब्लोग "हे प्रभु यह तेरापन्थ" पर बाते कर गई है। उसे कुछ ज्यादा ही बोलने का शोक है कुछ बोल गई हो तो उसे बच्चा समझ क्षमा कर देना। 
पापा कि शादी बडी ही मुश्किल धडी मे हुई थी जैसा की मेरे बडे पापा बताते है - २० मई १९९१ रात्री ११:३५ मुम्बई वी टी से २५० बराती के साथ ट्रेन द्वारा मद्रास के लिऐ रवाना हुऐ। सभी बडे ही खुश थे। २० कि रात २१ कि सुबह शाम ट्रेन मे मोज मस्ती से गुजरी। सभी बराती भी खुश थे। पापा तो होगे ही क्यो कि वो मम्मी को लेने जा रहे थे। यह ट्रेन मुम्बई से मद्रास पहुचने मे ३० घन्टा लेती है। यानी २२ मई को सुबह ५ बजे मद्रास सैन्ट्रल पर पहुचने वाली थी। २१ मई रात्री ११:१५ कोई अन्तरक्षी खेल रहा था , पापा के दोस्त ताश खेल रहे थे। बच्चे सो गऐ थे।  तभी बडे पापा को सुचना मिली कि चन्नैई मे राजीव गान्घी की हत्या हो गई।  कल २२ मई कि शादी है । बरात कडप्पा स्टेशन के आसपास चल रही थी। सभी के चेहेरे तनाव ग्रस्त थे। क्या होगा कैसे होगा। कैटरिग व्यव्स्था का खाना पिना भी यहॉ अन्तिम था. क्यो कि २१ मई रात का खाना तो हो चुका था। २२ मई सुबह ५ बजे तो बरात मद्रास पहुचने ही वाली थी। रात्री का समय था ज्यादातर लोगो को राजीवजी कि हत्या कि खबर देर- सवेर लगी हो इसलिऐ ट्रेन चलती रही कही रुकी नही। सभी लोग भगवान का नाम ले रहे थे । बडे पापा ओम भिक्षु जय भिक्षु कि माला गिन रहे थे। मद्रास से ठिक तीन धन्टे पुर्व तिर्थनी स्टेशन पर ट्रेन रात्री २ बजे आकर रुकी। रुकी तो ऐसी रुकी की सुबह हो गई दोपहर हो गई शाम हो गई ट्रेन चलने का नाम नही ले रही है। प्लेट फार्म खाली पडे है। दुकाने बन्द। कुछ लोगो के टोले चिल्लाते भागते हुऐ देखे जा सकते है। हमारी खाने पिने कि व्यवस्था भी खत्म हो गई थी। स्टेशन पर ना बिस्किट पानी कुछ नही। बच्चे भुख प्यास से रो रहे थे। पुरे के पुरे बराती भयन्कर टेशन मे, अब क्या होगा ? शादी होगी के नही ? बरात मद्रास पहुचेगी के नही। खाने-पिने का क्या ? २५० आदमीयो कि क्या व्यव्स्था ?  बडी ही दुविधा लग गई। फोन बन्द हो गऐ थे। लडकि वालो से सम्पर्क नही हो रहा था। मद्रास के क्या हालात है ? सभी बाते अन्धेरीगलियो कि तरह लग रही थी। आखिर भुख प्यास से बिलखते बच्चो के लिऐ बैगलोर वाले भुरोसा कुछ कैटरि वालो के साथ  तिर्थनी गॉव मे जाने का फैसला किया। सभी मे घबराहट थी। स्टेशन के बहार पहुचे सामने दुकानो मे से धुआ निकल रहा था। सडके सुन सान थी। सामने गली मे से आतकियो का झुन्ड दिखा , भुरोसा एक हाथ गाडी के सहारे छुप गऐ। छुपके छुपाते आखिर गॉव मे एक स्थानिय राजस्थानी परिवार के मुख्या से मिले जो वहॉ के तलेवर (नेता) भी थे, उन्को बताया कि किस तरह २५० बराती उनके गॉव के स्टेशन पर कल रात से फसे हुऐ पडे है भुखे प्यासे है। बच्चो के लिऐ दुध बिसिकट तक नही है । स्थानिय भाई ने कहा आप चिन्ता मत करो अब आप हमारे मेहमान हो। उनके घर पर २५० बरातियो के लिऐ चावल दाल एवम  बच्चो के लिऐ ३-४ लिटर दुध बिस्किट पानी का इन्तजाम किया एवम अपने १० कार्यकर्ताऔ को साथ लेकर बरातीयो को खाना खिलाया। ऐसे महान लोगो को मै प्रणाम करता हू। भुरोसा ने उनको खाने के पैसे भी देने कि कोशिश की पर वो नारज हो गऐ। यह हमारा सोभाग्य है कि आप ने हमे सेवा का मोका दिया।

कैसे भी करके २२ मई को शाम ५-६ कि बिच ट्रेन चन्नैई सैन्ट्रल पहुची। तीन चार एम्बुलेन्स के माध्यम से बरातीयो को  पापा  के साथ लडकी वाले ट्रिपलिकेन तेरापन्थ भवन ले गऐ। हेमामालिनी शत्रम (वाडी)  को रात मे ही खाली करना पडा। लाखो रुपऐ नानाजी के वेस्ट हो गऐ। पुरा डेकोरेशन, भोजन नास्ता, मिठाईया बसो, बेन्ड पार्टी, घोडी, VGP  खाना सभी तो बरबाद हो गया था। जैसे तैसे बिना घोडी चढे पापा का विवाह हुआ। २३ मई को पापा मम्मी को लेकर बरातीयो के साथ सकुशल मुम्बई पहुचे। उस दिन मद्रास मुम्बई सहित कई जगहो पर शादीया रद्द हुई, बराते वापिस गई पर पापा मम्मी के साथ ऐसा नही हुआ। इसलिऐ आज मम्मी पापा को happy wedding anniversar॥
आप सभी को मैने बोर किया होगा॥॥॥॥।प्लिस माफ कर देना. tankx
फिर मिलेगे जी
प्रणाम
जयेश



































यह वो ही ट्रेन है जिसमे पापा की बरात गई थी {२} मेरे फोटू मम्मी के साथ

रामप्यारी जिद कर रही है.. ताई दस रुपया दो ना, चाउमीन वाली नैनो आई है।

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चुनाव मे नोट कि जगह नैनो बॉटी जाएगी।

नेता नोट के बदले नैनो कि चॉबियॉ बॉटते हुए पकडे जाएगे।
वे गरीब के झोपडे कि बजाय गरीब कि नैनो मे बैठकर फोटू खिचवाएगे। 
समाज , नैनो और गैर नैनो वालो मे बट जाऐगा 
"बिलो पॉवर्टी लाइन" कि तरज पर बिलो नैनो लाइन कहा जाएगा।

व्यग के लिए क्षमा


एक रात को आया सपना, नैनो हुई अपनी-हे प्रभु

हरी निन्द्रा मे थे "हे प्रभु"नैनो का ओपचारिक लॉन्स देखते हुऐ हे "प्रभु", गम्भीरता से सोच  रहे थे कि नैनो के बाद की दुनिया यानी हिन्दुस्थान कैसा होगा? "हे प्रभु के" सपने मे आई कुछ आशन्काए मुलाहिजा फरमाऐ।

(1) हे प्रभू घर से निकल सामने वाली सडक पर पहुचते है,यहॉ वहा देखा। कोई नजर नही आ रहा। अरे...यही तो रहता thaa....कहॉ चला गया? तभी नजर अपने दाई तरफ पेड के नीचे पडती है। एक साथ छह-सात नैनो खडी है। मै गाडी के नजदीक पहुचता हू, उसके अन्दर झॉकता हू। एक शख्स गले मे गमछा डाले, दोनो पॉव सीट पर रख, खैनी लगा रहॉ है। मैने इसे पहले कई बार देखा है पहचानने की कोशिश करता हु। अरे तुम भइया तुम...? जी बाऊजी! मै..। और तुम्हारा रिक्शा....? वो तो मैने बेच दिया ये गाडी कल ही खरीदी है।

(2) ताऊ के घर का दृश्य चल रहा है मेरे सपने मै- ताई ताऊ को कन्जूसी के लिऐ ताने दे रही। ताऊ वर्तमान के खर्चो  और भविष्य की जिम्मेदारीयॉ गिना अपनी कन्जूसी को जस्टिफाई कर रहा है। इस बीच ताऊ के घर के दरवाजे कि कुण्डी बजती है। अरे गन्गूबाई (कामवाली) तुम..आज इतनी जल्दी कैसे? ताई वो क्या है ना...आज मेरा घरवाला (पति) मुझे ड्राप कर गया...वो कल ही गाडी खरीदी है...। इसीलिए मै जल्दी आई। ये सुन कन्जूस ताऊ के मन मे खतरे कि धन्टी बजती है इससे पहले ताई मुझे ड्राप कर दे, मुझे नैनो खरीद लेनी चाहिऐ। ताई भी खुश हो जाऐगी, रामप्यारी को स्कुल छोडने के काम भी आ जाऐगी, साथ ही साथ भाटियाजी कि शैखी भी खत्म हो जाऐगी।
(3)  दिल्ली के एक मार्केट मे चॉइनिज नैनो पचास हजार मै मिल रही है, शैलस भारतवासी बखान कर रहे थे-असली नैनो के मुकाबले इसमे कई दिलचस्प फिचर है। पैट्रोल डालने का झझट नही बैटरी से चलने वाली नैनो। किसी भी मोबाईल चार्जर से चार्ज होने वाली नैनो।
शैलश भारतवासी खरीद लेते है। एक दिन दिल्ली ब्लोगर-मिटस मे शिवकुमारजी, लवलीजी, अरविन्दजी मिश्रा, सजय सैन सागर को बैठा कर इण्डिया गेट के दर्शन कराने ले जा रहे थे तभी दरवाजा टुटने कि आवाज सुनाई पडती है तभी लवलीजी बोलती है अरे यह क्या....? इसमे तो थर्माकॉल का दरवाजा है।



(4) ताई का पल्लू पकड कर  रामप्यारी जिद कर रही है..
ताई दस रुपया दो ना, चाउमीन वाली नैनो आई है।

डक पर नैनो की तादाद बढने लगेगी। जाहिर है हादसे भी बढेगे। जिस तरह ट्र्क से ट्रक भिड जाते है उसी तरह नैनो से नैनो भी भिडेगी। ऐसे मे शास्त्रीजी के "सारथी" पर हेडलाईन आम होगी-  
"नैनो से नैनो लडी.....
दिल तो नही मिले,
दो कि टॉग जरुर टूट गई,
नैनो कि टक्कर मे दो ने नैन गवाऐ।"
सभी ब्लोगरो मे नैनो की होड मची हुई थी। ऐसे मे "हे प्रभु" के  सपने मे आकर श्यामलजी सुमन (मनोरमा) (प्रशासनिक पदाधिकारी टाटा स्टील, जमशेदपुर) ने तो अपने ब्लोगर दोस्तो को जो उनके दिऐ मोबाईल नम्बर पर उनकी कविता सुनेगा उन्हे एक नैनो पार्सल करवाने की स्कीम भी बताई (सुमनजी की टिपणीयो के साथा मोबाईल नम्बर लटका हुआ है आप चाहे तो सुमनजी से


"मोबाईल पर कविता सुनो और नैनो ले जाओ"वाली स्कीम मे भाग ले सकते है।

सडको पर चेतावनी लिखी हुई पढ रहे थे हे प्रभु,-
"सडक पर चलते हुऐ अपने नैनो का इस्तेमाल करे वरना नैनो के नीचे आ जाएगे।"
पुराने कपडो के बदले  बरतन देने वाले भी नैनो रखने लगेगे।
पति कि दो पुरानी पैन्ट के बदले नैनो मिल जाएगी।
घरो मे गेस्ट रुम कि तरह ही गेस्ट नैनो रखेगे।

अतः में, मै दो लाईने भारत मॉ को सुनाना चाहता हू।

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मुंबई में मैने वोट दिया

ज मैने अपना मताअधिकार का चोथी बार मद्रास से आक़र मुंबई में प्रयोग किया। देश के सबसे बडे लोकतान्त्रिक मेला, "चुनावो" मे मैने व्यक्ति विशेष के पक्ष मे अपने मत का प्रयोग किया। जब उगलि पर कालि स्याही का तिलक लगा तो मन मे एक सन्तुष्टि हुई कि चलो अब यह बात कोई नही कहेगा कि -

"अगर आप वोट नही कर रहे है, तो- आप सो रहे हो।" मै जाग गया हू, यह उगलि पर कालि स्याही का तिलक इस बात को प्रमाणित करता है। मैने तो अपने मताधिकार एवम जागने-जगाने वाली बात को साबित कर दिया। पर सोचता हू जागने - जगाने का फोर्मुला हम जैसे नागरिको के मानने से क्या यह राजनेता चुनावो के बाद पॉच साल तक जागते रहेगे ? मेरे मन मे यह प्रशन मुम्बई ऐयरपोर्ट से लेकर मेरे मतदान केन्द्र पहुचने तक दिमाग मे धमाल चोकडी कर रहा था। मतदान केन्द्र पर कोई लाईन नही थी फटाफट फुटे कि दिवार के पिछे गया बटन दबाया और बस हो गया मत + दान । अब इस मत के दान से मुझे या मेरे क्षैत्र को कितना पुण्य मिलेगा यह तो समय बताऐगा।

देश के सबसे बडे लोकतन्त्र के हाई प्रोफाईल क्षैत्र मुम्बई कि छः सिटो के लिऐ आज मतदान हुआ।

भारत का बडे से बडा उधोगपति, फिल्मी कलाकार, ने मुम्बई आकर अपना मत देकर, अपने अधिकारो पर अल्पकालिन विजय प्राप्त की।

सबने वोट देते वक्त एक बात को दोहराया कि-" हम सुरक्षा चाहते' हमारा सासंद वही होगा जो कार्य करेगा, जो स्वय शिक्षित होगा, (मुम्बई ऑतकवादी हमले के हादसे को वे अभी तक नही भुला पाऐ है) जो हमे सुरक्षित जीने का अधिकार देगा।

मैने तो यह सोचा ही नही था । और मत दे आया। क्यो कि मुझे पता है राजनितिज्ञो के लिऐ यह एक ऐसी फैक्ट्री है जो पॉच साल मे बिना टेक्स भरे करोडो अरबो के न्यारे वियारे है, नही तो भला कोन टिकट से लेकर प्रसार प्रचार मे करोडो स्वाह करेगा।

अतः मे मै दो लाईने भारत मॉ को सुनाना चाहता हू।

हर उम्मीदवार को डर रहता है

जनता कही मुझसे रुठ नही जाऐ।

और जनता को डर रहता है

उम्मीदवार का विजय रथ कही टुट ना जाऐ।

मुझे डर है उम्मीदवार और जनता के

बीच चल रही इस कशमाकस मे

कही भारत के लोकतन्त्र को बचाने का

सही-सही रास्ता छुट नही जाऐ।

जय हिन्द