पढ़ना है तो पिटना होगा!!!

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विदेशी वस्तुए , विदेशी कोच , विदेशी डिग्री , यह हमारी गुलाम मानसिकता का परिणाम है. विदेश में पढ़े - लिखे की इज्जत ओर घरेलू सस्थानों में पढ़े लिखे हेय नजर से देखने की प्रवर्ती का नतीजा है आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हमले .


२०२० में महाशक्ति बनाने का सपना संजोने वाले भारत में ऐसे शिक्षा सस्थानों का निर्माण क्यों नहीं किया जाता जँहा आस्ट्रेलियन एवं अमेरिकन छात्र पढ़ने को गोरव समझे ?


वहा की सरकार भारतीय छात्रों पर  हमलो को नस्लवाद नहीं मानती . भारतीय हुकमरान कठोर रुख अपनाने की बजाय पिलपीली भाषा में विरोध जताकर क्या साबित करना चाहती है ?

हद तो तब हो गई जब २१ वर्षीय नितिन गर्ग के पेट में चाक़ू घोपकर उसकी ह्त्या कर दी गई . ओर तो ओर पटियाला के युवक रणजोध सिंह को जलाकर मार दिया.
अब तक भारतीयों पर हमले के १०० मामले प्रकाश में आए किन्तु दुःख इस बात का है की आस्ट्रेलियन सरकार विफल रही इस नस्लवादी आंतक को रोकने में,वही भारतीय प्रसशान लाचार दिख रहा है, इस पुरे प्रकरण पर.


अब यह भारत की प्रतिष्ठा का,  सम्मान का सवाल है. अपने बच्चो के जीवन का सवाल बन गयाहै. ऐसे में हमे कठोर रुख अपनाना होगा. हमे आस्ट्रेलियन निर्मित वस्तुओ का बहिष्कार करना चाहिए. हमे आस्ट्रेलियन क्रिकेटरो के साथ कोई मैच नहीं खेलना चाहिए एवं उसका विरोध करना चाहिए . समस्त व्यापारिक सम्बन्ध विच्छेद कर देने चाहिए...