हिन्दी का कच्चा चिट्ठा: नवभारत टाइम्स के पन्नो मे। ताऊ उड़नतश्तरी, मानसिक हलचल, व्योम के पार, शिवकुमार मिश्र के बिना कोई लेख हिन्दि चिट्ठा जगत के लिऐ पुर्ण नही ।
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मेरे विचार
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ताऊ ,उड़नतश्तरी,
मानसिक हलचल,
व्योम के पार,
शिवकुमार मिश्र,
डॉ, अमरकुमारजी,
के बिना कोई लेख हिन्दि चिट्ठा जगत के लिऐ पुर्ण नही ।
नवभारत टाईम्स मुम्बई आज 59 वी वर्ष गाठ मना रहा है 'हिन्दी है हम' विशेषाक मे हिन्दी जगत कि वो तमाम बाते आज चर्चा का विषय बनी। हिन्दी चिट्ठा जगत ने आज खास स्थान पाया नवभारत के ईन्ही पन्नो मे। हमारी सहयोगी कचन श्री वास्तव ने हिन्दी चिट्ठा जगत कि तमाम वो सख्सतियो पर चर्चा की जो ब्लोग मे आने के बाद चमक उठे है। भडास,मोहल्ल,नुक्ताचीनी, चोखेर बाली,पोलखोली, चव्वनीछाप,धर्म ससद,बाल सजग, सारथी,हिन्दी ब्लोग टीप्स, फुरसतियाजी इत्यादि कि चर्चा की तो साथ ही साथ भडास के यशवन्त की हिन्दी चिट्ठा जगत से एक लाख की कमाई का भी उल्लेख किया। आलेख मे बताया गया है बीते 2 सालो मे 25000 हजार हिन्दी ब्लोग नेट पर आगऐ। यह बात कुछ हजम नही हुई। चुकि हिन्दी बोलने लिखने वालो कि सख्या दुनिया भर मे 68 करोड हो गई है ,वेसे मे 25000 हजार हिन्दी ब्लोग तो जन्म ले ही लेने चाहिऐ।
कचनश्री वास्तव ने शायद कोई खास जानकारी लेकर उपरोक्त आलेख नही लिखा ऐसा मुझे लगा। नही तो
ताऊ डॉट इन, उड़नतश्तरी ...., मानसिक हलचल, शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग
Vyom ke Paar....व्योम के पार...., पंगेबाज, कवि योगेन्द्र मौदगिल , कुश की कलम , घुघूतीबासूती , तीसरा खंबा , पराया देश, और मेरा नाम भी जोड दु तो कोई नारजगी नही होनी चाहीऐ, हे प्रभु यह तेरा-पथ; के नामो का उल्लेख किये बिना हिन्दि चिट्ठा जगत कि बात आपुर्णिय है। पर शायद स्पेज कम पड गया होगा ? फिर भी उनकी यह कोशिस रन्ग लाई, क्यो कि
सारथी एवम फुरसतियाजी एवम हिन्दी ब्लोग टीप्स को याद रखा।
नवभारत पर प्रकाशित लेख को देखे। बहुत ही सुन्दर लिखा है- कचनजी ने, जो बधाई की पात्र है। आप यहॉ उन्हे बधाई शुभकामना दे जो उन तक पहुचाई जा सके।
29 comments
फुरसतिया जी अमरीका में रहने लगे, यह जानकारी आज अखबार से मिली. बड़े ही गुपचुप तरीके से अमरीका आ गये और हमें खबर भी न दी..हे राम!!
achchhee khbr ,bdhai.
ab isse acchi khabar kya hogi !!
baat bhi bilkul sahi hai udantastari, taau, mansik halchal ityadi ke bina vakai hindi chittha jagat poorn nahi hai,
badhai hi badhai
इसे पढ़ कर पता लगा कि फुरसतिया जी हिन्दुस्तानी कानपुर छोड़ कर अमंरीका पहुँच गए हैं और एनआरआई हो गए हैं। फुरसतिया जी को बहुत बहुत बधाई। उन्हें इस से भी अधिक बधाई जो इस ब्रेकिंग न्यूज को ले कर आई हैं।
"...फुरसतिया जी अमरीका में रहने लगे, यह जानकारी आज अखबार से मिली. बड़े ही गुपचुप तरीके से अमरीका आ गये और हमें खबर भी न दी..हे राम!!..."
हे हे हे... अखबारी लेख अधिकतर ऐसे ही तो होते हैं? है कि नहीं?
smaaer ne jo kehaa mae wahii kehnae aayee , yae kab hua aur kab gaye , kab aayae !!!!!
its not important who are mentioned or who are not but the facts are totally rubbish
अई हई ये फुरसतिया जी कब से फेक्टरी छोड़ अमेरिका में रहने लगे है तो गजब की बात ईई मीडिया वाले भी गजब की फेकत है .
sabhi ko bahut bahut mubarak ho
लेखक को हिन्दी चिट्ठों को लेकर और शोध करनी चाहिये थी.. कई तत्थ सही नहीं है..
पर प्रयास अच्छा है अपनी बिरादरी बढेगी.. एसे ही एक लेख ने मुझे ब्लोग की और ला दिया था..
कचनजी ने लिखा जब फ़ुरसतिया जी कानपुर आते है तो दोस्तो के साथ महफ़िल जमा लेते है.
मेरे हीसाब से फ़ुरसतियाजी कि जगह समीरजी लिखना चाहीये था क्यो की मह्फ़िले तो सरकार ही जमा सकते है.
@2 सालो मे 25000 हजार हिन्दी ब्लोग नेट पर आगऐ।
भाईयो और बहिनो,
आप सभी फ़ुरसतिया के पिचे क्यो लगे हो ?
2 सालो मे 25000 हजार हिन्दी ब्लोग नेट पर आगऐ। इस नयाब जानकारी के बारे मे तो आपने खुशी जाहिर नही की.
हे प्रभु, क्या आपका नाम नहीं लिखा उन लोगों ने! कैसा गजब हो गया.
मुम्बई टाईगर के बिना तो हिन्दी चिट्ठाजगत में सब कुछ सूना सूना है.
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
भाई ये अखबारी माया है.. हमे तो सबसे बडा मलाल फ़ुरसतिया जी का है जो बिना हमे बताये अमेरिका चले गये. हमसे तो जब भी बात कार्ते हैं तब कहते हैं कि अभी फ़ेक्ट्री मे हूं अभी घर मे हूं..और अमेरिका जाऊंगा तो ताऊ तुमको साथ ले जाऊंगा...बहुत अफ़्सोस हुआ और ज्यादा अफ़्सोस तो इस बात का कि ये खबर हमें अखबार द्वारा मिल रही है.
आप तो ऐसे ना थे फ़ुरसतियाजी?
रामराम.
जिसे कच्चा बतला रहे हैं
वो तो पूरा पक्का है
तो कच्चा बतला रहा है
वो तो अभी बच्चा है
बच्चा है तो हुआ क्या
मन का तो सच्चा है
जो लेख लिखा है
लगा तो अच्छा है।
॒ हे प्रभु, क्या आपका नाम नहीं लिखा उन लोगों ने! कैसा गजब हो गया.
मुम्बई टाईगर के बिना तो हिन्दी चिट्ठाजगत में सब कुछ सूना सूना है.
सस्नेह -- शास्त्री
............
गुरुदेव प्रकट भी हुऎ और बोले.भी.......
भक्त धन्य हुआ जी...........
गुरुदेव शास्त्रीजी, पहले से ही लाईन लगी पडी है अब हमारी किस्मत मे कहा चर्चाऎ.....
ताऊ की बात सच्ची है- सब अखबारी माया है । वैसे ब्लॉग-जगत अब अखबार की सुर्खी बन गया है तो सुखद ही है । आभार ।
लो कल्लो बात फुरसतिया जी अमेरिका से आते है और कानपुर में मेल मिलाप करते है.. और हमें पता ही नहीं .. ये अखबार वाले भी पुरे सबूतों के साथ ही कुछ लिखते है..
तभी तो लोग ब्लाग को साहित्य मानने से इन्कार कर रहे हैं - अरे, एक गप्प को भी नहीं पचा सके!!!:)
बढिया खबर है और फ़ुरसतिया जी को बधाई।
घुघूती बासूती
वाह वाऽऽ! सब्बास!!
बहुत सटीक और सामयिक लेखन है.
मैने इतना निष्पक्ष और ज्ञानवर्धक लेख आज तक प्रिंट मीडिया में नहीं पढा. साधूवाद.
ई कौन से फ़ुरसतिया जी हैं भाई जो अमेरिका चले गये और बताइन भी नहीं!
नवभारत टाइम्स के ये हाल हो गये! अखबारों की हालत अब ब्लाग से बेहतर तो नहिऐं लगती है! :)
आदरणीय हिन्दी के कच्चे चिट्ठेवालो,
#फुरसतियाजी' को लेकर आप कोनो ही बात का टेसनवा ना ले , अखबारवालीबाई तो बराक औबामा को फुरसतिया पुकारत है। जो कानपुर की अन्धेरी रातो मे सूनसान राहो मे महफ़िल जमावत है, उन्हे लोग अमेरिकि फुरसतियाजी कहवत है।
नवभारत की यह खबर है की सनसनी--??
१-२ साल में २५हज़ार हिंदी ब्लॉगर!
२-फुरसतिया जी अमेरिका मेंब्लॉग्गिंग करते हैं !
३-भडास के चलाने वालों की आमदनी एक लाख प्रति माह सिर्फ इस एक ब्लॉग से!
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मुम्बई tiger जी धन्यवाद!
मुम्बई टाईगर जी।
बधाई हो।
कचन श्रीवास्तव का आलेख अपूर्ण लगा।
अब कौन इस चर्चा में दिमाग खपाए।
इतनी देर में तो 4 पोस्ट लिखी जायेगी।
हमारे हिन्दी ब्लोग जगत के सभी साथियोँ को
बहुत बहुत बधाई
और आपका आभार
इस समाचार को,
हम सब तक पहुँचाने के लिये
- लावण्या
पिछले चार सालों से यहाँ भाड़ झोंक कर भी जो नहीं जान पाए वह कंचन जी ने महा रिसर्च कर बता दिया! कमाल है यह लेख. फुरसतिया अमेरीका से बतियाने कानपुर आ गए. हमें पता ही नहीं चला.
हिन्दी ब्लॉगिंग की यही उपलब्धी रही.... मोहल्ला, कस्बा....
बेचारे अखबार वालों नें इस लेख को तैयार करने में कितना परिश्रम किया होगा.......उसके लिए वो कम से कम साधुवाद के पात्र तो होने ही चाहिए!!!!!
कंचन जी की जानकारी सही नहीं है. पिछले एक महीने से ही फुरसतिया जी अमेरिका छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में रहने लगे हैं. हिंदी चिट्ठाकारों की संख्या को लेकर भी उनकी जानकारी ठीक नहीं लग रही है. एक लाख की कमाई (अगर यह जानकारी सही है तो) करने वाले चिट्ठे को बधाई.
Shiv Kumarji Mishra
जहा तक मेने महसुस किया उपरोक्त आलेख कचऩजी ने किसी विशेष ब्लोगर के हवाले से उपल्ब्ध जानकारीयो पर छापा होगा। जो पत्रकारिता के लिऐ व्यवाहरिक नही है क्यो कि गलत जानकारी राष्ट्र, समाज, परिवार, एवम व्य्क्ती को नुकसान पहुचा सकती है। मेरे पत्रकार दोस्तो को इस घटना के बाद कुछ सीख लेने मे शर्म महसुस नही होनी चाहिऐ।
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