बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज ने ताऊ को दिया निम्बु मिर्च
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व्यग
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ताऊ ने लगाया निम्बु मिर्चस्वर्गलोक मे कल रात बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज गहरी निद्रा मे सो रहे थे । बाबाजी ! सपना देखते है, कोई चिठ्ठाकार दोनो हाथ से धोती पकड कर व बाहो मे लठ लिए हाफता भागता स्वर्गलोक कि ओर आ रहा है। पिछे लोगो का हुजुम उस पकडने के लिए भाग रहा है।
बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज ने अपनी दिव्यदृष्टि लगाकर देखा। अरे! यह तो अपना शिष्य हिन्दी का चिठठाकार ताऊ है। ताऊ से बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज ने पुछा -"क्या बात है ताऊजी ?" बडे ही चिन्ता के भाव लिए मेरे दरबार मे आऐ हो ?" और यह लोग कोन है जो तुम्हारे पिछे लगे है ? और क्यो?"
ताऊ ने अपने गले मे पडे गमचे से पसीना पुछा और बोला- "महाराजजी! यह सभी असन्तुष्ट प्राणी है। मेरे तेरह महीने के ब्लोग कार्यकाल के प्रसिद्धि एवम सफलता को कुछ लोग पचा नही पा रहे है। इनकी बदहजमी यहॉ तक पहुच गई की मेरे एवम "ताऊ डाट इन" के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे है।
बाबाजी! आपने मुझे यह किस झमेले मे डाल कर आप स्वर्गधाम मे आराम फरमा रहे है।"बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज ने चुटकि बजाई तभी अप्सराए हाजिर हुई।
समीरानन्दजी महाराज- अप्सराओ कि और मुख्खातिब होते हुऍ बोले -" यह हमारे सेले ताऊ है। बहुत दुर धरती-लोक से आऐ है। थके प्यासे है। पहले तो तुम एयरकन्डीशन (A/C) चालु कर दो,
फिर दो गिलास शरबत हाजिर करो।" अप्सराए शरबत लाने चली गई।अब बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज ने अपने मुख से अमृताशब्दो कि बारिश करते हुए ताउजी से कहते है-" देख ताऊ! तुमने "ताऊ डाट इन" को एक साल चार महीने मे जिस बुलन्दियो पर पहुचाया है यह बात मुझे भी हजम नही हो रही है ! तो इन तुच्छ मानवो कि क्या बिसात जो बिना जले रह सकते है। उन्हे जलना तो था ही। यह "जलशी" का किडा तो प्रत्येक मानव मे मैने फिट कर रखा है। और टेशन नही लेने का ताऊ!
कोई रेडीमेड सफलता तो मिली नही तुम्हे , चिठठाजगत मे रात दिन कि कडी मेहनत, सकारात्मक, रचनात्मक सोच के बाद तूम्हे यह मुकाम हासिल हुआ है। तेरी "सत्ता" स्वीकार करने मे ऐसे लोगो को कुछ वक्त लगेगा, तुम्हारी "बादशाहत" को एक ना एक दिन स्वीकार करना ही करना है ताऊ।" ताऊ इसका मुलकारण है तुमने कभी भी "चिठ्ठे" का बेजा फायदा नही उठाया, तुम्ह ने शब्दो का इस्तेमाल क्षिक्षा स्वरुप किया। छोटी छोटि आम मानवीय जीवन मे घटने वाळी घटनाओ कुरितियो को पात्रता के रुप मे अपनी आत्मा की भाषा मे पिरोकर कुशल शिक्षाप्रद अपने ब्लोग पर अभिनय कहू या मचन कहू ताऊ वो तूमने किया है।"
हुका पीते हुऐ ताऊ - बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज से पुछते है- "महाराज! इब इसका इलाज किया और कब तक ? "
बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज -"अरे ताऊ! कै बावली बूस कि तरह उतावाला होवे छे, यह सक्रमण काल छे समय पर ठीक हो जावेगा।" थोडा धिरज बान्ध ताऊ!
समीरानन्दजी महाराज -"ताऊ! फेम (प्रसिध्द् )बनने के बाद व्यक्ती को अपने लिए नही पब्लिक के लिए जीना पडता है। फेम (प्रसिध्द्) व्यक्ती को यह छोटी सी किमत तो चुकानी ही पडती है।
ताऊ-"महाराजजी! मै फैमस कब हुआ मुझे तो पता ही नही चला ?-"
तभी एक अप्सरा शरबत लिए बाबा समीरानन्दजी महाराज के दरबार मे हाजिर होती है। ताऊ घटा-घट शरबत हलक के निचे उतार देता है।!
मुस्कराते हुए अपने दिव्य एवम ओजस्वि शब्दो का इस्तेमाल करते हुए बाबा श्री समीरानन्दजी महाराज फरमाते है-" ताऊ! 20 जून 2009 को आपने एवम मेरा प्रिय बालशिष्य आशीषजी खंडेलवाल ने "ताऊ डाट इन" पर 1०,००० वीं टिपणी की घोषणा ने तुम्हे नम्बर वन पर ला खडा कर दिया। बस लोगो कि ऑखो मे किरकिरी पैदा होने के कारणो मे यह भी एक मुख्य कारण है।"
ताऊ-" इस नजर टोकार के लिए कोई इलाज मन्त्र सन्त्र ?"
बाबा समीरानन्दजी महाराज -" मेरे प्रिय शिष्य मैने आजकल टोटके टाटके करना बन्द कर दिया है। पर तुम मेरे प्रिय हो ताऊ, इसलिए जाते समय बाहर के कक्ष मे "हे प्रभु" ध्यानास्थ है उन्ह से कहो वो तुम्हे मेरे द्वारा अभिमंत्रित "निम्बु- मिर्च देगे वो "ताऊ डाट इन" पर अगरबत्ती का धुप कर शुक्रवार को मेरा मनन कर टॉग देना। ताकी बुरी आत्माओ का छाया "ताऊ डाट इन" पर ना पडे।"
ताऊ -" बाबाजी आपने मुझे
कर दिया अब मुझे जाने की आज्ञा प्रदान करे, मगल पाठ सुनाए। "बाबा समीरानन्दजी महाराज मगल पाठ देते हुऐ धरती-लोक के लिए निम्बु मिर्ची के साथ ताऊ को रवाना करते है।बाबा समीरानन्दजी महाराज का मगल पाठ
" मैं दीपक हो के बुझ जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
मैं तूफानों से डर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
न मैने तैरना सीखा, मगर है हौसला दिल में
मैं दरिया पार न जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता. "
ताऊडॉट इन कि कुछ खबरे
असली ताऊ कौन ? आज साल 2008 का अंतिम दिन है ! आज मुझे हिंदी के सार्वजनिक ब्लागिन्ग में कुल 7 माह और 9 दिन हुये हैं. इस बीच आज की पोस्ट सहित कुल 144 पोस्ट इस ब्लाग पर मेरे द्वारा लिखी गई ! और 56 पोस्ट मग्गा बाबा पर ! इस तरह कुल दो सौ पोस्ट इस अवधि में लिखी गई ! और दिसम्बर 08 मे पूरी 31 पोस्ट लिखी गई ! यानि प्रति दिन एक ! Wednesday, December 31, 2008 at 12:11 AM Posted by ताऊ रामपुरिया |
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महाबाबा ताऊआनंद : हे मेरे परम प्रिय ब्लागरों, अपना संपुर्ण ध्यान लगाकर सुनो कि हम कैसे ब्लागरत्व को प्राप्त हुये. बडा दुरुह और कठिन कार्य है. पर भक्त जनों जिसने एक बार ब्लागरत्व प्राप्त करने की ठान ली. वो भला बिना पाये विश्राम कैसे करेगा? Saturday, June 6, 2009 at 8:00 AM Posted by ताऊ रामपुरिया |
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आज ताऊ के ब्लाग की उम्र एक साल हो गई है यानि आज ताऊ की वर्षगांठ है…अरे नही….. नही……ताऊ की नही ..इस ब्लाग की वर्षगांठ है. इस एक साल मे ताऊ ने फ़ुल साईज 281 पोस्ट लिखी. जिन पर ताऊ को करीब 8450 कमेंट प्राप्त हुये. |
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आज मैं आपका हृदय से आभारी हूं कि २० जून २००९ को आपने इस ब्लाग पर १०,००० वीं टिपणी करके आपका स्नेह और आशिर्वाद मुझे दिया. मैं अभिभूत हूं. जिसने एक भी टिपणी दी है उनका भी मैं आभारी हूं. बिना उनकी एक टिपणी के भी यह अधुरा ही रहता. Monday, June 22, 2009 at 2:09 PM Posted by ताऊ रामपुरिया आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) June 22, 2009 5:48 PM @ Makrand, सभी चिट्ठों में से यह पता लगाना तो काफी श्रमसाध्य कार्य है कि किस-किस चिट्ठे पर दस हजार टिप्पणियां हो चुकी हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार उड़नतश्तरी वाले समीर लाल जी और मानसिक हलचल वाले ज्ञानदत्त जी अभी तक इस दस हजारी क्लब में शामिल थे और लेटेस्ट व धमाकेदार एंट्री ताऊजी की हुई है। अगर किसी साथी को दूसरे नाम पता हों तो बताने का कष्ट करें। |
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महावीर जी
आपने जिस बेहतरीन अंदाज में पूरी बात रखी है, कायल हो लिए हम तो आपके.
ताऊ को समझना ही होगा कि प्रसिद्धि तो पैकेज डील है जिसमें साथ में विरोधी आयेंगे ही. इग्नोर करना ही एकमात्र वेक्सीन है. ध्यान दिया और आपका ध्यान भंग और उनकी सिद्धि.
जैसे जैसे आगे बढ़ोगे, यह विरोध भी बढ़ता ही जायेगा. हमेशा याद रखना होगा कि मंजिल तो अभी दूर है और:
अभी तो ये अंगड़ाई है
आगे बहुत लड़ाई है...
मेरी अन्नत शुभकामनाऐं आपके, ताऊ और अन्य ब्लॉगर्स के साथ. विरोधियों से या बदनाम करने वालों से विचलित न हों. वो उनका काम कर रहे हैं, आप अपना करते रहिये. वो आपको देखकर नहीं सीख रहे तो आप उनसे नीचे गिरना क्यूँ सीखें.
पुनः इस आलेख/ हास्यमय सीख के लिए कोटिशः आभार!!
गल्प-दीप में एक और दीपक जलाने के लिए, बधाई!
समीरानंद जी महाराज की असीम अनुकम्पा आप पर बनी रहे, उन्होंने ने जो अभिमंत्रित 'नीबू मिर्ची' दी है उसका प्रताप सर्वज्ञं है, और वो मंगल पाठ !! वो तो काम करेगा ही, क्योंकि मेरा प्रयोग किया हुआ है जो काफी सफल रहा है, शायद उसी का नतीजा है..
मैं ठोकर खाके गिर जाऊं, ऐसा हो नहीं सकता
गिर कर उठ नहीं पाऊं, ऐसा हो नहीं सकता
बहुत ही अच्छा, लाजवाब...
हम प्रसन्न हुए....
बहुत बढ़िया रचना |
ताऊ तो ताऊ ही है जी कुछ भी कर सकता है | लेकिन समझ नहीं आया पीछे लगने वाले लोग ताऊ के लट्ठ से क्यों नहीं डरे | कहीं ताऊ ने आजकल जर्मन लट्ठ की जगह चाइनीज लट्ठ तो नहीं ले रखा |
10 हजारी की बहुत बहुत बधाई
बहुत बढ़िया और रोचकता से भरपूर पोस्ट लिखी है आपने बम्बई टाइगर साहब। बाबा समीरानन्द जी और ताऊ दोनों हमारे प्रिय सितारे हैं और ब्लाग को बुलंदियों पर पहुँचा देने में दोनों का योगदान अतुलनीय है।
ताऊ का पुरा विश्लेषण हो गया.. निंबु मिर्ची वाले ताऊ..:)
महा वीर जी नमस्कार, अजी यह टोटके बहुत काम के होते है, समीरानंद जी महाराज जी महा राज की कृप्या बनी रहे ओर भुत प्रेत 'नीबू मिर्ची' देक कर निकट ना आवे,
पिछली बार जब मै भारत आया तो हमारे पडोसी ने एक नया ट्र लिया था, इस के आगे ओर पीछे एक के जुता लटकाया, पुछने पर पता चला कि इस से नजर नही लगती ओर अनामी/अनामिकाये आत्मा नजदीक नही फ़टकटी...
तो अब ताऊ को इन बुरी आत्मा से बचाना हमारा काम है, अब ताऊ ट्रक तो नही लेकिन नजर लगने वाली चीज तो बन गया है...
राम राम जी की
बहुत ही विस्तार से विश्लेषण कर दिया...
समीर जी की सीख काम की है..कि प्रसिद्धि तो पैकेज डील है जिसमें साथ में विरोधी आयेंगे ही. इग्नोर करना ही एकमात्र वेक्सीन है. ध्यान दिया और आपका ध्यान भंग और उनकी सिद्धि.'
क्या बात है!
जय हो!
भाई आपने बडी मेहनत पुर्वक अच्छा विष्लेषण किया है. आपका बहुत आभार, और आपकी और समीरजी द्वारा दी गई सलाह और होंसला अफ़्जाई के लिये बहुत शुक्रिया.
रामराम.
बेहतरीन पोस्ट.....मजा आ गया।
वैसे ताऊ को नीम्बू-मिर्ची लगाने की कोई जरूरत तो नहीं थी। सिर्फ समीर जी की एक तस्वीर लगा लेते तो नजर/टोना-टोटका/किया-कराया/ओपरा/भूत-प्रेत/अनामी/बेनामी नजदीक भी नहीं फटक सकते थे:)
ताऊ अनन्त ताऊ कथा अनन्ता!!!
pak gaya hai shazar main phal shayad,
phir se patthar uchalta hai koi....
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